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ध्यान का मार्ग : क्रियायोग क्रियायोग के लाभ

यहाँ हम आपको क्या समझाने का प्रयत्न कर रहे हैं सुनिए.

इस प्रकार जीवन को चलने दीजिये, उसके बाद इस जन्म के बाद परमात्मा हमारा क्या करेंगे, वो परमात्मा पर छोड़ दीजिये. उन्हें सब पता है की क्या करना है क्या नहीं.

इसे कोई भी अन्य व्यक्ति आपको नहीं दे सकता। आपको स्वयं ही इसे निरंतर विकसित करना चाहिए।

However, for people leagues with four entrants inside the Champions League, this meant that In the event the Champions League winners completed exterior the best 4 in its domestic league, it could qualify in the expense on the fourth-positioned crew. At the moment, no association could have over four entrants during the Champions League.[a hundred and ten] This happened in 2012, when Chelsea – who experienced gained the Champions League that summer months, but completed sixth while in the league – skilled with the 2012–thirteen Champions League rather than Tottenham Hotspur, who went in the Europa League.[111]

जब मन और भावनाओं को भीतर की ओर मोड़ दिया जाता है, आप ईश्वर के आनन्द को अनुभव करना प्रारम्भ करते हैं । इन्द्रियों के आनन्द स्थाई नहीं हैं; परन्तु ईश्वर का आनन्द शाश्वत है। यह अतुलनीय है।

चाहे जीवन आपको एक ही साथ वह सब कुछ दे भी दे जिसकी आपको इच्छा थी-धन, शक्ति, मित्र- तो कुछ समय पश्चात् आप पुनः असन्तुष्ट हो जाएंगे तथा, कुछ और अधिक चाहेंगे। परन्तु एक ऐसी वस्तु है जो आपके लिए कभी नीरस नहीं हो सकती अर्थात् आनन्द स्वयं। सुख जो कि आनन्दप्रद ढंग से विविध प्रकार का है, यद्यपि इसका सार-तत्त्व अपरिवर्तनीय है, यह ऐसी आन्तरिक अनुभूति है जिसे प्रत्येक व्यक्ति खोज रहा है। चिरस्थाई, नित्य नवीन आनंद ईश्वर है। इस आनंद को अपने भीतर प्राप्त करके, आप इसे प्रत्येक बाह्य वस्तु में भी पाएंगे। ईश्वर में आप चिरस्थाई अक्षय परमानन्द के भंडार को प्राप्त करेंगे।

मनुष्य पृथ्वी पर केवल ईश्वर को जानना सीखने के लिए आया है, वह किसी और कारण से यहाँ नहीं है। यही ईश्वर का सच्चा संदेश है। जो उन्हें खोजते हैं और उनसे प्रेम करते हैं, उन सबको वे उस महान् जीवन के विषय में बताते हैं जहाँ कोई पीड़ा नहीं है, कोई वृद्धावस्था नहीं है, कोई युद्ध नहीं है, कोई मृत्यु नहीं है—केवल शाश्वत आश्वासन है। उस जीवन में कुछ भी नष्ट नहीं होता। वहाँ केवल वर्णनातीत आनन्द है जो कभी website फीका नहीं पड़ता—एक आनन्द जो नित्य-नवीन रहता है।

हमारे साधू संतों और ग्रंथों के मुताबिक केवल परमात्मा ही आपको इस जीवन – मरण के चक्कर से छुटकारा दिला सकते हैं. मतलब आपको पूरी तरह से मुक्ति दिला सकते हैं.

संन्यासियों का दौरा तथा क्रिया दीक्षा समारोह

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आदमी में अन्य प्राणियों के मुकाबले सोचने और समझने की बहुत ज्यादा शक्ति होती है.

मानव जाति उस ‘कुछ और’ की निरन्तर खोज में व्यस्त है जिससे उसे आशा है कि सम्पूर्ण एवं असीम सुख मिल जाएगा। उन विशिष्ट आत्माओं के लिए जिन्होंने ईश्वर की खोज की है और उन्हें प्राप्त कर लिया है, यह खोज समाप्त हो चुकी है : ईश्वर ही वह कुछ और हैं।

The researchers also recognized precise problems, for example handball and offside conclusions, that fans are specifically important of. The examine concludes that VAR hasn't been very well gained by fans inside the Premier League, and that initiatives to Increase the technologies and improve transparency in selection-producing are necessary to address these issues.

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